हमें हार क्यों नहीं माननी चाहिए
हमें अपने जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. हमें हमेशा हर एक परिस्थिति से लड़ना चाहिए सामना करना चाहिए. जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना आए.
कोई भी परिस्थिति ऐसे नहीं होती जिसमें से इंसान नहीं निकल सकता. हर एक पर परिस्थिति से हर एक व्यक्ति लड़ सकता है, हर एक परिस्थिति का सामना कर सकता है. कठिन परिस्थितियां ही इंसान को मजबूत बनाती हैं और इंसान को आगे बढ़ने में प्रेरित करती हैं
दुनिया में ऐसा कोई भी इंसान नहीं है जिसके जीवन में कभी कठिन परिस्थिति ना आई हो. जीवन नाम ही कठिनाइयों का है. और जो इंसान इन कठिनाइयों से निकलता है, वही एक दिन इतिहास बनाता है. वही अपने जीवन को जीत जाता है.
और जो व्यक्ति बिना मेहनत बिना कोशिश किए ही हार मान लेता है. वह कभी भी किसी भी परिस्थिति का सामना नहीं कर सकता. उसका तो जीवन ही व्यर्थ चला जाता है. वह जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता. जब तक हम परस्थितियों से नहीं लड़ते हमें जीवन की परिभाषा पता ही नहीं चलती. अगर जीवन की परिभाषा का मतलब समझना है तो, हमें हर एक कदम सोच समझ कर चलना होगा.
इसलिए हमें हर हाल में हर एक परिस्थिति से लड़ना है, वह चाहे हम चतुराई से लड़े चाहे अपने दिमाग को लगाकर लड़े लेकिन इन परिस्थितियों से ऊपर हमें उठना होगा, कभी हार नहीं माननी होगी मैं आपको एक छोटी सी चिड़िया की कहानी के जरिए बताती हूं. कैसे उस नन्ही सी चिड़िया ने अपना दिमाग लगाया और एक बहुत बड़ी परस्थिति से बाहर निकली और अपने जीवन को भी सफल बनाया. और अपने बच्चों का भविष्य भी उज्जवल कर लिया.
एक दिन की बात है एक चिड़िया आकाश में अपनी उड़ान भर रही होती है। रास्ते में उसे गरुड़ मिल जाता है। गरुड़ उस चिड़िया को खाने को दौड़ता है। चिड़िया उससे अपनी जान की भीख मांगती है। लेकिन गरुड़ उसपर रहम करने को तैयार नहीं होता। तब चिड़िया उसे बताती है कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं और उनके लालन पालन के लिए मेरा जीवित रहना जरूरी है। तब गरुड़ इस पर चिड़िया के सामने एक शर्त रखता है कि मेरे साथ दौड़ लगाओ और अगर तुमने मुझे हरा दिया तो मैं तुम्हारी जान बख्श दूंगा और तुम्हें यहां से जाने दूंगा।
गरुड़ इस बात को जानता था कि चिड़िया का उसे दौड़ में हराना असंभव है। इसलिए उसके सामने इतनी कठिन शर्त रख देता है। चिड़िया के पास इस दौड़ के लिए हां करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता। लेकिन चिड़िया को इस बात का अंदाजा था कि गरुड़ को दौड़ में हराना नामुमकिन है लेकिन फिर बी वह इस दौड़ के लिए हां कर देती है। पर वह गरुड़ से कहती है कि जब तक ये दौड़ ख़त्म नहीं होता वह उसे नहीं मरेगा। गरुड़ इस बात पर राजी हो जाता है।
दौड़ शुरू होती है चिड़िया फट से जाकर गरुड़ के सिर पर बैठ जाती है और जैसे ही गरुड़ दौड़ के आखिरी स्थान पर पहुंचता है चिड़िया फट से उड़ कर लाइन के पार पहुंच जाती ही और जीत जाती है। गरुड़ उसकी चतुरता से प्रसन्न हो जाता है और उसको जिंदा छोड़ देता है। चिड़िया तुरंत ही वहां से उड़ जाती है और अपने रास्ते चल देती है।
ठीक इसी तरह हमें भी कठिन परिस्थितियों में हालातों पर रोना नहीं चाहिए बल्कि समझदारी और चतुरता के साथ मुसीबत का सामना करना चाहिए। विरोधी या कार्य आपकी क्षमता से ज्यादा मजबूत हो तो इसका मतलब यह नहीं कि आप पहले से ही हार मान कर बैठ जाएं बल्कि समझदारी और धैर्य से बैठ कर समस्या का समाधान ढूढ़ना चाहिए। अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए कि हम किसी भी हालत में जीत सकते है।
इसलिए हमें अपने जीवन में हमेशा आगे की तरफ देखना है कभी भी पीछे की तरफ नहीं देखना हर एक परिस्थिति से खुशी-खुशी निकलना है क्योंकि संसार में आज तक कोई भी ऐसी परिस्थिति नहीं बनी जिसमें से इंसान कभी ना निकला हो. बस अपने अंतर में विश्वास रखना है, और आगे बढ़ना है.
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धन्यवाद