मन को कैसे जीते
मन को कैसे जीते, मन को जीतना इस दुनिया में सबसे ज्यादा कठिन काम है | क्योंकि जितना हम मन को जीतने की कोशिश करते हैं उतना ही ज्यादा यह बेकाबू हो जाता है | मन को कभी भी जोर जबरदस्ती से नहीं जीता जा सकता क्योंकि मन की ताकत की कोई सीमा नहीं होती | यह बात अलग है कि मन ताकत भी आत्मा से लेता है और उसी को ही पराजित करता है |
मन को जीतने के लिए संत महात्माओं ने भी बहुत कोशिश की है और उनमें से बहुत से संत कामयाब भी हुए हैं | लेकिन मन को जीतता कोई करोड़ों में कोई कोई है | यह बात सुनकर हम निराश भी हो सकते हैं लेकिन एक आशा की किरण भी है कि करोड़ों में अगर कोई मन को जीतता है तो वह हम क्यों नहीं हो सकते | मन इतनी आसानी से हमारे काबू में नहीं आता जितना ज्यादा हम इसको सही रास्ते की तरफ ले जाने की कोशिश करते हैं उतना ही यह दूर भागता है |
फिर मन को कैसे जीता जा सकता है ?
यह हम एक छोटी सी कहानी के जरिए समझने की कोशिश करते हैं |
मन को जीत कर अच्छे रास्ते की तरफ लगाना बडा ही कठिन है ।शुरुआत मे तो यह इसके लिये तैयार ही नहीं होता है । लेकिन इसे मनाए कैसे?
एक शिष्य थे किन्तु उनका मन किसी भी भगवान की साधना में नही लगता था और साधना करने की इच्छा भी मन मे थी ।
वे गुरु के पास गये और कहा कि गुरुदेव मन लगता नहीं और ध्यान करने का मन होता है ।कोई ऐसी साधना बताए जो मन भी लगे और ध्यान भी हो जाये ।
गुरु ने कहा तुम कल आना ।दुसरे दिन वह गुरु के पास पहुँचा तो गुरु ने कहा सामने रास्ते मे कुत्ते के छोटे बच्चे हैं उसमे से दो बच्चे उठा ले आओ और उनकी हफ्ताभर देखभाल करो ।
गुरु के इस अजीब आदेश सुनकर वह भक्त चकरा गया लेकिन क्या करे, गुरु का आदेश जो था।
उसने 2 पिल्लों को पकड कर लाया लेकिन जैसे ही छोडा वे भाग गये।उसने फिरसे पकड लाया लेकिन वे फिर भागे ।
अब उसने उन्हे पकड लिया और दुध रोटी खिलायी ।अब वे पिल्ले उसके पास रमने लगे।
हप्ताभर उन पिल्लो की ऐसी सेवा यत्न पूर्वक की कि अब वे उसका साथ छोड नही रहे थे ।वह जहा भी जाता पिल्ले उसके पीछे-पीछे भागते, यह देख गुरु ने दुसरा आदेश दिया कि इन पिल्लों को भगा दो।
भक्त के लाख प्रयास के बाद भी वह पिल्ले नहीं भागे तब गुरु ने कहा देखो बेटा शुरुआत मे यह बच्चे तुम्हारे पास रुकते नही थे लेकिन जैसेही तुमने उनके पास ज्यादा समय बिताया ये तुम्हारे बिना रहनें को तैयार नही है।
ठीक इसी प्रकार खुद जितना ज्यादा वक्त भगवान के पास बैठोगे, मन धीरे-धीरे भगवान की सुगन्ध,आनन्द से उनमे रमता जायेगा।
हम अक्सर चलते फिरते ध्यान लगाने की कोशिश करते हैं तो भगवान में मन कैसे लगेगा?
जितनी ज्यादा देर ईश्वर के पास बैठोगे उतना ही मन ईश्वर रस का मधुपान करेगा और एक दिन ऐसा आएगा कि उनके बिना आप रह नही पाओगे ।
शिष्य को अपने मन को जीतने का मर्म समझ में आ गया और वह गुरु आज्ञा से ध्यान करने चल दिया।
देखा दोस्तों अपने इस कहानी में कि मन को कैसे जीता जा सकता है | मन को जीतना मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव नहीं | जिस दिन हमने मन को जीत लिया उस दिन हमने पूरी दुनिया जीत ली | गुरु नानक देव जी का भी एक कथन है |* मन जीते जग जीत*|
तो चलो दोस्तों इस कहानी से शिक्षा लेते हैं और मन को जीतने की कोशिश करते हैं |
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