कर्म क्या है
कर्म क्या है,(What is Karma in hindi) यह पूरी दुनिया कर्मों के अधीन ही है | कर्म का मतलब यह है कि जो कुछ भी आज हम कर रहे हैं चाहे अच्छा हो या बुरा,वह सब एक दिन कर्म के रूप में हमारे सामने आएंगे | कर्मों के इस कानून से इस दुनिया में कोई भी नहीं बच सकता | जैसे हम कर्म करेंगे वैसा ही हमें इसका नतीजा भोगना पड़ेगा |(What is Karma in hindi)
हम लोग इस दुनिया में देखते हैं के कई लोग बहुत ज्यादा अमीर हैं, जो महलों में रहते हैं, जिनके पास बेशुमार दौलत है दुनिया भर का ऐश आराम का सामान है | और इस दुनिया में करोड़ों की संख्या में ऐसे इंसान भी मिल जाएंगे जिनके पास रहने को घर भी नहीं है और दिन रात रोटी के लिए जानवरों की तरह मेहनत करते हैं और उसके बाद भी उनको भरपेट खाना नहीं मिलता | यह सब कर्म ही तो है |
इस दुनिया में कोई भी ऐसा इंसान नहीं है जो कर्मों के बिना इस धरती पर है | जब इंसान के कर्म इकट्ठे होते हैं तभी उसको इंसानी जन्म मिलता है | कर्म का फल चाहे देवता हो, चाहे इंसान सबको इसका फल बराबर ही मिलता है |
हम लोगों के ऊपर कई पर बहुत ज्यादा मुसीबतें आती हैं उस समय हम बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं | क्या हम कभी यह सोचते हैं के सब कुछ इतना अच्छा चल रहा था कि एकदम हम मुसीबतों में कैसे फंस गए ? इस दुनिया में दुख हो या सुख हो, अमीरी हो या गरीबी हो, बीमार हो या तंदुरुस्त हो यह सबकुछ कर्मों के हिसाब से ही मिलता है |
जिस दिन इंसान के कर्म खत्म हो जाएंगे उस दिन यह दुनिया ही नहीं रहेगी | यह दुनिया चल ही इसलिए रही है कि कर्मों का हिसाब किताब बहुत लंबा चौड़ा होता चला जाता है | और इस कर्मों के हिसाब को चुकाने के लिए इंसान को बार-बार इस संसार में आना पड़ता है | इतना ही नहीं जब इस संसार में हम दोबारा जन्म लेते हैं तो फिर से नए कर्म बनाने शुरू कर देते हैं |
इसलिए हमें हमेशा सोच विचार कर आगे बढ़ना चाहिए. कोई ऐसा कर्म नहीं करना चाहिए जिसका हिसाब चुकाते समय हमें बहुत तकलीफ हो. इंसान की फितरत है,कर्म भी अपनी मर्जी से करना चाहता है उसका फल भी अपनी ही मर्जी से चाहता है. जो कि कभी हो नहीं सकता. जैसे हम कर्म करेंगे वैसा ही फल हमें भोगने को मिलेगा.
कई बार हमने अपने जीवन में ऐसे व्यक्ति देखे होंगे, जिनके जीवन में दुख ही दुख होते हैं |वह हमेशा कहते हैं कि हमने तो कभी कोई ऐसा कर्म किया ही नहीं. तो यह दुख तकलीफ हमें ही क्यों ? इस जीवन में हम जो भी कर्म भोग रहे हैं यह सब हमारे पिछले जन्मों के इकट्ठे किए हुए कर्म है | जिसकी वजह से हमें यह दुख तकलीफ आती है. यह तो शुक्र है उस परमात्मा का. जिसने जीव को वह सब कुछ भुला दिया. कि उसने पिछले जन्म में कितने बुरे कर्म किए हैं |अगर वह कर्म हमें याद रहते तो शायद हम जीवित नहीं रहते |
क्योंकि फिर अपने किए हुए कर्मों का फल हमें पता होता, कि अब हमारे जीवन में क्या होने वाला है | यह सब कुछ ना पता होने के कारण ही तो यह जीवन चल रहा है | इसलिए अब हम सोच विचार कर कर्म करें. ताकि इन कर्मों का बोझ हल्का हो ना कि भारी हो जाए |कर्मों का बोझ जितना भारी होगा उतना ज्यादा बोझ हमें ही उठाना पड़ेगा | हम कभी किसी के कर्म ना तो ले सकते हैं ना दे सकते हैं | यह सारा बोझ हमारे अपने ही किए हुए कर्मों का है और इसे हमें ही भुगतना पड़ेगा |
और यह कुदरत का नियम है जो जैसा करेगा उसे वैसा ही मिलेगा | तो चलो फिर अपने जीवन में सोच विचार कर आगे बढ़ते हैं ताकि अनजाने में भी हमसे कोई ऐसे कर्म ना हो जाए जिससे हमारे कर्मों का बोझ बढ़ जाए |
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