हम हमेशा यह क्यों सोचते हैं कि मेरे बिना क्या होगा
हम सब लोग इस दुनिया में बहुत बड़ी गलतफहमी का शिकार है कि हमारे बिना इस दुनिया में कुछ भी नहीं हो सकता. जब हम नहीं थे. क्या यह दुनिया नहीं चल रही थी चल तो तब भी रही थी. काम तो तब भी सारे इस दुनिया में हो रहे थे. लेकिन बस हमने अपने अंदर एक भ्रम पैदा कर लिया कि हमारे सिवा इस दुनिया में यह कोई काम कर नहीं सकता.
मां सोचती है कि अगर मैं नहीं होती तो बच्चे कौन पालता. पिता सोचता है, कि अगर मैं नहीं होता तो इन बच्चों को कमा कर कोन लाकर देता. बच्चे सोचते हैं कि अगर हम नहीं होते तो माता-पिता को कौन पूछता. फिर सोचते हैं कि अगर मैं नहीं रहूंगा तो यह कारोबार कौन संभालेगा मेरे सिवा यह कारोबार कोई भी नहीं कर सकता. यह कैसी गलतफहमी है जो सारी उम्र हमारी बनी ही रहती है.
एक बार की बात है एक सेठ था. उसे बहुत ज्यादा घमंड हो गया, कि मेरे सिवाय मेरे घर को कोई चला ही नहीं सकता. इसी घमंड में जीता, और घर में भी पूरी अकड़ से रहता था. एक दिन एक साधु उसकी दुकान पर आया और उसे वह सेठ कहने लगा यह अगर मैं काम नहीं करूं तो मेरे घर के सब लोग भूखे मरेंगे इसलिए मुझे यह काम करना पड़ता है.
वह साधु मुस्कुराने लगा यह मूर्ख आदमी है, इसे तो पता ही नहीं इसके बिना भी यह दुनिया चल सकती है. साधु ने उसको समझाने की कोशिश की कि ऐसा कुछ नहीं तुम्हारे बिना भी यहां पर सब कुछ हो सकता है पर सेठ इस बात को मानने को तैयार ही नहीं हुआ वह हर बार एक ही बार बोलता था कि मेरे बिना तो कुछ भी नहीं हो सकता.
तो साधु ने बोला कि चलो एक काम करते हैं तुम इस घने जंगल में चले जाना और आगे कहीं और छुप कर बैठ जाना. और हम शोर मचा देंगे कि तुम्हें शेर खा गया. और यह सब लोग समझेंगे कि तुम मर गए हो फिर एक महीने बाद आकर देखना कि तुम्हारा घर कैसे चल रहा है.
सेठ ने ऐसा ही किया एक घने जंगल में चला गया लोगों को दिखाने के लिए. इतने में सब ने शोर मचा दिया कि सेठ को तो शेर खा गया. सीट सेठ की पत्नी और बच्चे खूब रोने लगे. उन्होंने भी मान लिया कि सेठ की मृत्यु हो गई है. अब जो दुकान थी वह उसके बेटे ने संभाल ली बेटा और पत्नी मिलकर उस दुकान पर काम करने लगे. लोगों के अंदर भी कुछ दया भाव बढ़ गया था. यह लोग अकेले हैं. तो लोगों ने भी ज्यादा सामान लेना शुरू कर दिया. यह दुकान पहले से भी ज्यादा चलने लग गई.
अब जब सेठ अपने घर आया तो उसने देखा कि मेरी दुकान में जो सामान था वह दुगना हो गया है. और घर में भी सब कुछ अच्छा चल रहा है. तब उसे साधु ने उससे पूछा कि अब बताओ क्या तुम्हारे बिना यह घर नहीं चल सकता या फिर यह दुकान नहीं चल सकती. सब काम हो रहे हैं तुम्हारे बिना यह तुम्हारा भरम था. कि तुम्हारे बिना कुछ नहीं हो सकता सब कुछ वैसे का वैसा ही चल रहा है.
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है हमें कभी भी इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए. और कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरे सिवाय यह कोई काम कर ही नहीं सकता. हमने अपनी जिंदगी में अक्सर देखा होगा कितने लोगों की मृत्यु हो जाती है. क्या उसके बाद उसके घर नहीं चलते क्या उसके बच्चे बीवी खाना नहीं खाते. और अगर पत्नी चली जाती है. तो क्या बच्चों को खाना नहीं मिलता, या पति खाना नहीं खाता ऐसा कुछ भी नहीं होता दुनिया वैसे की वैसी ही चलती रहती है दुनिया कभी भी किसी के बिना नहीं रुकती. इसलिए कभी इस गलतफहमी में मत रहो कि मैं नहीं रहूंगा. तो सब कुछ रुक जाएगा. हां कुछ दिन घरवाले जरूर परेशान रहेंगे. लेकिन उसके बाद सब कुछ वैसे ही चलना शुरू हो जाएगा.
क्योंकि इस दुनिया में भगवान ने सबको बुद्धि देखकर भेजा है और हर कोई हर एक काम कर सकता है. इसलिए कभी नहीं सोचना चाहिए यह काम मेरे बिना नहीं होगा.
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