मृत्यु के बाद का सत्य

( मृत्यु के बाद का सत्य) मौत के बाद यमदूत जीव को सूक्ष्म मंडलों में ले जाते हैं | जहां पाप पुण्य का निर्णय देने वाला न्यायाधीश धर्मराज सिंहासन पर विराजमान होता है | वह जीव का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है | मृत्यु के बाद का सत्य

ईसाई धर्म में मौत के इन दूतों को बड़ा सही नाम दिया गया है, इन्हें मौत के फरिश्ते अथवा अंधकार के फरिश्ते कहा जाता है, क्योंकि वास्तव में उनका स्वरूप बहुत डरावना और भयानक है | भारत में इन्हें यमदूत या मौत के राजा यम के दूत कहा जाता है | यह न्यायाधीश हमेशा कचहरी में मौजूद रहता है वहां किसी जेल खाने के अंधेरे कमरे में लंबी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती | (truth after death in hindi)

कोई भी उसके फैसले को चुनौती नहीं दे सकता | कोई टिप्पणी नहीं की जाती या बचाव के लिए कोई लंबी चौड़ी दलीलें नहीं दी जाती | कैदी खुद कोई शिकायत नहीं करता, ना ही कोई रियायत मांगता है | वह जानता है कि उसे न्याय मिल रहा है और वह न्याय स्वीकार कर लेता है | फिर उसे उस मंडल या उस अवस्था में ले जाया जाता है जिसे उसने अपने कर्मों के अनुसार अर्जित किया है, चाहे वह अच्छी है या बुरी | फैसले के अनुसार वह एक निश्चित समय तक वहां रहता है | जब वह समय समाप्त हो जाता है तो उसे एक नया जीवन शुरू करने के लिए इस संसार में या किसी दूसरी दुनिया में भेजा जाता है | यह एक सामान्य क्रम है, वह किसी बैकुंठ या स्वर्ग अथवा किसी आनंद धाम में कुछ समय तक विश्राम कर सकता है जो इस संसार से कई गुना ज्यादा सुंदर तथा आनंददायक है | वहां वह साल, हजार साल या एक लाख साल तक भी रह सकता है, वह सब उसके कर्मों पर निर्भर है | जितने ऊंचे लोक में उसे भेजा जाता है, उतने ही अधिक समय के लिए वहां उस का निवास होता है |

अगर किसी ने अपने जीवन में नीच कर्म ही किए हो, तो उसे सुधार गृह में ले जाया जाता है जिसे नरक कहते हैं | वहां वह अपने जीवन काल में किए गए पापों की सजा भोगता है | अगर उसका जीवन निर्दयता, लालच, हिंसा और लूटपाट, निंदनीय और बुरे पाप कर्मों से भरा हुआ था, तो वह इसके परिणामों से नहीं बच सकता | यहां यह समझना जरूरी है कि सजा के पीछे एक उद्देश्य है सजा इलाज के तौर पर दी जाती है, बदला लेने की दृष्टि से कभी नहीं | इसका उद्देश्य व्यक्ति का कल्याण है, उसके चरित्र में सुधार लाना है | यह सजा एक निश्चित समय के लिए होती है, हमेशा के लिए नहीं | लेकिन यह कर्म सिद्धांत का अटल नियम है कि हर जीव को उसके कर्मों के अनुसार ही सजा मिलती है और उतनी ही सजा मिलती है जो उसके मन पर छाप डाल दें कि अपराध और गुनाह से कोई लाभ नहीं होता |

इटली के प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक दांते के इनफर्नो मे नर्क को कोरी कल्पना नहीं बताया गया | निचले सूक्ष्म मंडलों में बहुत से ऐसे भाग है जहां सुधार ग्रह है | बुरी प्रवृत्ति वाले लोगों को, जो दुराचार पूर्ण जीवन बिता कर मृत्यु को प्राप्त होते हैं, वहां भेजा जाता है | उन मंडलों में सभी जीवात्माऔ को अपने कर्मों का उचित फल मिलता है | बचाव की कोई गुंजाइश नहीं है | इन सुधार ग्रह में उनके कर्मों के अनुसार यातना का बोझ कम या ज्यादा हो सकता है |

कोई व्यक्ति जब अपना अगला जीवन आरंभ करता है, वह सजा द्वारा अनुशासित और विनम्र हो चुका होता है | उसका झुकाव दया और अच्छे कर्मों की होता है | उसे अच्छे कर्म करने का मौका मिलता है |

सूक्ष्म मंडलों में जब जीव के सुधार का समय समाप्त हो जाता है, तो उसे अपने कर्मों का बोझ समाप्त करने के लिए इस पृथ्वी पर किसी निचले स्तर के जीवन में फिर से जन्म लेना पड़ता है | अगर उसने अपना जीवन बहुत नीच, दुराचारपूर्ण और निंदनीय पाप कर्म करते हुए बिताया था, तो उसे सख्ती से अनुशासित और विनम्र करने के लिए किसी पशु योनि में भेजा जा सकता है जहां यह बुरी तरह अपमानित होता है और सजा भुगतता है | लेकिन किसी भी स्थिति में उस आत्मा की ज्योति, अनंत प्रकाश की एक छोटी सी चिंगारी कभी नहीं बुझती | यह ज्योति कुछ देर के लिए छुप जाती है या कम हो जाती है | एक पशु के मस्तिक के अनुरूप मन का दायरा भी छोटा हो जाता है | जब वह फिर से मनुष्य योनि में आता है, तो मन स्वाभाविक रूप से नए मस्तिक के अनुरूप फैल जाता है |

यही हमारी मृत्यु के बाद का सत्य है, और सबको इसमें से गुजरना ही पड़ता है | इसलिए अपने जीवन में हमें सिर्फ अच्छे कर्म ही करने चाहिए क्योंकि हिसाब हमें खुद ही देना है |

दोस्तों मेरा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो प्लीज शेयर लाइक और फॉलो जरूर करें |

धन्यवाद

Originally published at https://www.spiritualstories.online.

--

--

"God is not your bank account. He is not your means of provision. He is not the hope of your pay. He is not your life. He's not your god. He's your Father."

Get the Medium app

A button that says 'Download on the App Store', and if clicked it will lead you to the iOS App store
A button that says 'Get it on, Google Play', and if clicked it will lead you to the Google Play store
Spiritual stories

"God is not your bank account. He is not your means of provision. He is not the hope of your pay. He is not your life. He's not your god. He's your Father."