आत्मा और मन क्या है
आत्मा और मन क्या है, हम ने बहुत लोगों से सुना होगा आत्मा और मन के बारे में लेकिन क्या हम यह जानते हैं कि आत्मा और मन क्या है ? आत्मा और मन दोनों ही अलग-अलग है | दोनों ही सूक्ष्म रूप में हमारे शरीर में विराजमान हैं | आत्मा बिना मन के इस दुनिया में कुछ भी नहीं कर सकती | इसी तरह मन का भी आत्मा के बिना कोई भी वजूद नहीं है | आत्मा और मन दोनों एक साथ बंधे हुए होते हैं |
आत्मा जब इस दुनिया में आई थी तो वह बिल्कुल ही पवित्र और पाक थी | उसके ऊपर कोई भी दाग नहीं था लेकिन इस दुनिया में आकर उसे मन का साथ मिला | मन भी जब इस दुनिया में आया वह भी बिल्कुल पवित्र था लेकिन इस दुनिया में आकर वह माया के चक्कर में आकर भटक गया और इस दुनिया की गंदगी को ही अपना समझने लगा | अब आत्मा और मन एक साथ बंधे हुए हैं, इसलिए जहां मन जाएगा वहां आत्मा को भी उसके साथ जाना होगा | मन जो भी बुरे कर्म करता है उसका नतीजा आत्मा को भी भुगतना पड़ेगा | कहने का मतलब यह है कि यहां मन राजा बनकर आत्मा के ऊपर हुकम चलाता है | लेकिन जिस दिन आत्मा इसके ऊपर हावी हो जाएगी तब मन कुछ भी नहीं कर पाएगा |
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आत्मा की कोई ताकत नहीं है | आत्मा भी उस परमात्मा की अंश है लेकिन वह इस दुनिया में आकर मन के वश में आ गई है | जिस दिन आत्मा मन को अपने वश में कर लेती हैं | फिर मन को आत्मा के कहे अनुसार चलना पड़ता है |
मन कि अपनी कोई भी ताकत नहीं होती यह आत्मा से ताकत लेता है और आत्मा पर ही हुकम चलाता है. जैसे हमने अक्सर देखा होगा जो बड़े-बड़े पेड़ होते हैं उनके ऊपर एक अमरबेल चढ़ी हुई होती है अगर ध्यान से देखा जाए तो उस बेल की कोई जड़ नहीं होती. वह सारी ताकत पेड़ से लेती है और पेड़ को एक दिन सुखा देती है |
इसी तरह से हमारा यह मन आत्मा से ताकत लेता है और आत्मा को ही अपना गुलाम बना लेता है | जब इंसान की मृत्यु होती है तो यह शरीर इसी संसार में रह जाता है | मन और आत्मा एक साथ दुनिया से वापस चले जाते हैं | जैसे कर्म होते हैं वैसे फिर इसी मन और इसी आत्मा को आगे का शरीर मिल जाता है |
और यह मन और आत्मा का खेल काफी समय से चलता ही आ रहा है. जिस भी योनि में आत्मा को जन्म मिलता है, यह मन साथ जाता है | सिर्फ और सिर्फ इसीलिए क्योंकि आत्मा और मन की गांठ बंधी हुई है. इसीलिए हमें हमेशा यही कोशिश करनी चाहिए के आत्मा के कहे अनुसार चलें | क्योंकि आत्मा हमेशा हमें सही दिशा में लेकर जाती है,और हमारा मन हमें उलट दिशा में लेकर जाता है. बस यही फर्क है इन दोनों में.
मन और आत्मा को पहचानने का एक बहुत ही आसान सा तरीका है | जब भी हम कोई काम करने लगते हैं, हमारे अंदर से दो आवाजे आती हैं | एक आवाज हमें सही रास्ते की तरफ ले जाना चाहती हैं, और दूसरी आवाज हमें गलत रास्ते की तरफ | बस उस समय हमने अपनी समझ और अपने विवेक का इस्तेमाल करना है और सही रास्ते की तरफ आगे बढ़ना है | जिस दिन हमने इस चीज को पहचान लिया उस दिन मन भी हमारा गुलाम हो जाएगा |
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